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एक ऐसा गांव जहां सदियों पहले दूल्हा दुल्हन अदृश्य होने पर गांव का नाम पड़ा कन्यालुका

एक ऐसा गांव जहां सदियों पहले दूल्हा दुल्हन अदृश्य होने पर गांव का नाम पड़ा कन्यालुका


कन्यालुका

चट्टान जंहा से नवविवाहित जोड़े अदृश्य हुए 


गुड़ाबांदा: प्रखंड में एक ऐसा गांव जहां सदियों पहले बारिश में दूल्हा दुल्हन चट्टान में आश्रय लेने गये ओर वहां से गायब होने की घटना के बाद गांव का नाम कन्यालुका पड़ा। गुड़ाबांधा प्रखंड भालकी पंचायत स्थित कन्यालुका गांव जहां 250 से भी ज्यादा संथाल परिवार रहते हैं। गांव की बुजुर्गों की ऐसी मान्यता है की सदियों पहले बाराती गांव से पार हो रहे थे। उसी वक्त अचानक बारिश आ गई बारिश से बचने के लिए नवविवाहित जोड़े गांव के सड़क किनारे एक चट्टान में जाकर छुप गए। उस वक्त काफी मूसलाधार बारिश हुई। बारिश खत्म होने के बाद ग्रामीणों ने चट्टान के पास जाकर देखा तो वहा से विवाहित जोड़े गायब हो गए थे। ग्रामीणों ने इसकी सूचना यहां के राजा को दिया, तभी से इस गांव का नामकरण उस राजा ने कन्यालुका के नाम से रख दिया। इससे पहले गांव जब बसा था, तब इस गांव का नाम टीर्की था। बाद में राजा द्वारा नामकरण के बाद कन्यालुका के नाम से जाना जाने लगा। हर वर्ष ग्रामीण जाहेर स्थान में पूजा अर्चना के बाद जहां से शादीशुदा जोड़े गायब हुए थे, उस चट्टान की भी पूजा करते हैं। पूजा अर्चना कर ग्रामीण क्षेत्र में अच्छी बारिश एवं गांव की सुख समृद्धि की मनोकामना करते हैं। इस गांव में ज्यादातर किसान बसते हैं। ग्रामीणों की ऐसी आशा है की पूजा करने के बाद इस गांव में अच्छी बारिश होती है और गांव में सुख समृद्धि का वास होता है। जिससे गांव के लोग हमेशा खुशहाल रहते हैं।

कन्यालुका

कहानी बताते गांव के वृद्ध गंगुराम टुडू 



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