मां मनसा की प्रतिमा
धालभूमगढ़ : महुलीशोल
में मां मनसा पूजा के दिन झापान के साथ तीन दिवसीय मनसा मेला प्रारम्भ हुआ।इस दौरान
तीन राज्यों के दूरदराज से उड़ीसा ,बंगाल एवं झारखंड से आए भक्तों का जनसैलाब उमड़ा। इस वर्ष तीन दिवसीय मनसा पूजा का आयोजन 17 अगस्त से 19
अगस्त तक रखा गया है। बुजुर्गों के मुताबिक यह पूजा वर्ष 1799 ईस्वी से आयोजीत
होते हुए आ रही है। मनसा पूजा के लिए ग्रामीण जंगल से पकड़े हुए नाग की पूजा करते
हैं। पूजा के समाप्ति के बाद फिर उसे जंगल में वापस छोड़ देते हैं। प्रथम दिन मां
मनसा की पूजा अर्चना के दरमियान नागों को पूजा के बाद गले में लपेट कर ग्रामीण
दिघी बांध तक जाते हैं तथा नाग को नहलाने के बाद वापस घट लेकर
मनसा मंडप में पहुंच कर पूजा की जाती है। पूजा के दौरान गांव के लगभग सभी घरों में
उनके मेहमान पहुंचे हुए रहते हैं। जिसके चलते मनसा मेला में भारी भीड़ रहती है। झापान
को देखने दूसरे राज्यों से लोग यहां पहुंचते हैं। इस वर्ष निखिल दास और तुषार
पंडित ने झापान की पालकी पर गले में नागों को डाल कर बैठे थे। इस दरमियान नाग
उन्हें डस भी रहे थे, इसके बावजूद भी मां
मनसा की कृपा से उनपर कोई असर नहीं हो रहा था। इस मेले में तीन दिनों तक विभिन्न
प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होते हैं। यहां पर ग्रामीणों की ऐसी आस्था हे की हर वर्ष यह पूजा
करने से मां मनसा की कृपा बनी रहती है। जिससे गांव में सर्पदंश की घटना ना के
बराबर होती है। जिन भक्तों ने यहां मन्नते मांगी है। उसकी मन्नतें हमेशा पूरी हुई
है। मन्नत पूरा होने के बाद वे लोग यहां पूजा करने के लिए दोबारा जरूर आते हैं। दो
वर्ष करोना काल के वजह से यहा पूजा फीकी रही थी। लेकिन इस वर्ष कोरोना नियंत्रण पर
होने से भक्तों की काफी भीड़ उमड़ी है। इस वर्ष मेला के सफल आयोजन में आयोजन समिति
के दीपक दास,
अजीत दास, खिरोद उस्ताद, अजय उस्ताद,अनूप दास, पिंटू ओझा,
रतिकांत उस्ताद, रथिन पंडित, खोकन पंडित,अजय पंडित, पूर्ण चंद्र काहिली, रोहिन दास की अहम
भूमिका रही है। झापान करते निखिल दास
व तुषार पंडित
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